शनिवार, जून 20, 2009

पुनरागमन दिल्ली


दिल्ली से लखनऊ और लखनऊ से दिल्ली करते अब दो महीने हो गए.लखनऊ से दिल्ली तबादले की अर्जी दी है ,न जाने कब होगा उसका असर. तब तक हर सप्ताहांत हवाई यात्रा के न्यूनतम किराये की खोज कर एक हफ्ते आफिस और एक हफ्ते घर सँभालने का सिलसिला जारी है. करीब ३ साल बाद फिर दिल्ली में रहने का मौका आया. इन तीन सालों में काफी बदल गयी है राजधानी.मेट्रो के आने से रास्ते बदल गए . अभी भी दक्षिण दिल्ली में इतना निर्माण हो रहा है कि उलझन सी होती है. फ़्लाइओवर बनने से लगता है भीड़ कम हो जायेगी पर सड़क पर जाम ज्यों का त्यों दीखता है गाड़ियों की तादाद बढ़ती जा रही है और हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल नहीं करते. वैसे भी शायद शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इतने लोगों का भार वहन करने कि क्षमता न हो.सीरी फोर्ट के पास BRT कॉरिडोर देखा .एअरपोर्ट नए रूप में आ गया है.१ km लम्बा एशिया का सबसे बड़ा माने जाने वाला अम्बियेंस मॉल देखा.एक जगह जो नहीं बदली वो थी दिल्ली हाट और IHC में ईटओपिया .