दिल द्वार दस्तक दी तुमने जब
ऊषा की स्निग्ध लाली जैसे
भोर-विभोर मैं डूब गयी
अर्ध्य देती मतवाली जैसे
शान्त अमित आकाश हो तुम
मैं समा गयी विस्तार में तेरे
निढाल पडी पा आलिगन तेरा
बरस पडी मैं अंक में तेरे
ओत प्रोत मैं प्रीत में तेरी
हर अंग लगे है नया नवेला
भावों के भँवर का मंथन
नहीं सभलता अब यह रेला
दहकते गुलमोहर सा रक्तिम
हो जाए यह तन मन मेरा
तेरी आँखों का स्पर्श पाऊँ
या तेरी खुश्बू का घेरा
नि:शब्द बैठे हम दोनों
डूबते सूरज से आमुख
सहपथ की निशानियों के
कारवाँ अब हैं सम्मुख
जीवन निशा की दहलीज पर
सान्निध्य तुम्हारा मेरा सहारा
पूनम की खामोश चांदनी
देगी तुम्हें सतत उजियारा
ऊषा की स्निग्ध लाली जैसे
भोर-विभोर मैं डूब गयी
अर्ध्य देती मतवाली जैसे
शान्त अमित आकाश हो तुम
मैं समा गयी विस्तार में तेरे
निढाल पडी पा आलिगन तेरा
बरस पडी मैं अंक में तेरे
ओत प्रोत मैं प्रीत में तेरी
हर अंग लगे है नया नवेला
भावों के भँवर का मंथन
नहीं सभलता अब यह रेला
दहकते गुलमोहर सा रक्तिम
हो जाए यह तन मन मेरा
तेरी आँखों का स्पर्श पाऊँ
या तेरी खुश्बू का घेरा
नि:शब्द बैठे हम दोनों
डूबते सूरज से आमुख
सहपथ की निशानियों के
कारवाँ अब हैं सम्मुख
जीवन निशा की दहलीज पर
सान्निध्य तुम्हारा मेरा सहारा
पूनम की खामोश चांदनी
देगी तुम्हें सतत उजियारा