शनिवार, सितंबर 29, 2007

नाम से तेरे आवाज़ मैं न दूँगा


नाम से मेरे वो कभी पुकारता न था मुझे


नाम लेने भर से सिहर जाता हूँ मैं


सोचो हाल कैसा होगा जब मिलूँगा तुझे


मिलने के नाम से घबरा जाता हूँ मैं .

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया है भाव!

Divine India ने कहा…

काफी अच्छे भाव हैं पर एक कमी खली वह कि कविता बहुत ही छोटी है थोड़ा और विस्तार दिया जाता तो भाव की सहजता ज्यादा अच्छे से उभर कर आती…।

Unknown ने कहा…

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aarsee ने कहा…

क्या बात है!

Asha Joglekar ने कहा…

पूनम जी आप मेरे ब्लॉग पर आईं और रचना को सराहा. अनेक धन्यवाद. आपकी कविताएँ भाव से ओतप्रोत हैं ।