लखनऊ के रहने वालों को इस शहर से प्यार इस कदर होता है
'लखनऊ हम पर फ़िदा, और हम फिदाए लख्ननऊ
क्या है ताकत आसमां की, जो छुडाये लखनऊ.'
मुझे याद है युनिवर्सिटी के ज़माने में जब हमें होली या विदाई समारोह में 'टाइटिल' देने होते थे तो शेर-ओ-शायरी का बडा सहारा रहता था.आखिर इस शहर की रवायत ही ऐसी है.
महबूबा को खत लिखा तो इस उम्मीद के साथ
'सियाही आँख की लेकर मैं नामा तुमको लिखता हूँ
कि तुम नामे को देखो और तुम्हं देखें मेरी आँखें'
लेकिन इतना करने के बाद भी उधर से कोई आवाज़ दे ऐसा ज़रूरी नहीं .
'नामावर तू ही बता,तूने तो देखे होंगे
कैसे होते हैं वह खत ,जिनका जवाब आता है.'
हाय रे किस्मत,वो पढते भी हैं और आँखें भी चुराते हैं.
'खत ग़ैर का पढते थे ,जो टोका तो वो बोले
अखबार का पर्चा है खबर देख रहे हैं '
याद आया वो कॉलेज के दिन जब छुपछुप कर उन्हीं पर नज़रें रहती थीं ,पर जैसे ही वो इधर देखते आँखें आसमान पर या किताबों पर गड जातीं ?
यह उम्मीद भी बेमिसाल है
' बरसों से कानों पे है क़लम इस उम्मीद पर
लिखवाएं मुझसे खत ,मेरे खत के जवाब में '
लेकिन जब खत पडा जाता है तब के लिये हिदायतें हैं
'नामे को पढना मेरे,ज़रा देखभाल के,
कागज़ पर रख दिया है,कलेजा निकाल के'
13 टिप्पणियां:
पूनम जी जीवन के कुछ लम्हें जरुर मैं लखनऊ में बिताना चाहता हूं, देखिए यह शुभ घड़ी कब आती है,
लखनऊ तो मुझे भी बहुत पसन्द है ।
अपरिग्रही
क्या बात है!! जारी रहे!!
बहुत सुन्दर...लखनऊ में कोई रहे और शायर न बने...ऐसा कैसे हो सकता है..
kai mitra lucknow ke hai.
aksar vaha kee aan ban aur san kee charcha hote rahtee hai.
vahan to kai bar gaya hun, lekin ak bar bada emambada dekha tha. aur bhee kahee jagah gaya hun. bada hee pyara shahar hai.
लखनउ की शान निराली है उस पर कालेज की यादें तो सुभान अल्लाह् । काश वो लम्हें फिर वापस आ पाते ।
संजीव तिवारी
मस्त शायराना अंदाज़ ! जारी रहे ! शुभकामना !!
पूनम जी
लखनऊ के बारे में जितना जाना जाए कम है। यहां कहानियां ढ़ेर हैं और उम्मीद है आप इसी तरह लिखती रहकर हमें हर चीज बताती रहेंगी। मुस्काएं की आप लखनऊ में है।
सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक ब्लॉग पुरस्कारों की घोषणा की रेटिंग लिस्ट में आपका ब्लाग देख कर खुशी हुई। बधाई स्वीकारें।
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लखनऊ का अपना मज़ा है...
मैं भी लखनऊ से हूँ...
आप भी बड़ा मज़ा आये जब मिल बैठें दो लखनवी...
'लखनऊ हम पर फ़िदा, और हम फिदाए लख्ननऊ
क्या है ताकत आसमां की, जो छुडाये लखनऊ.'
सच है ये.. लखनऊ तो लखनऊ है
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