शुक्रवार, दिसंबर 07, 2007

रांग नम्बर

"हैलो !"
"हैलो!"
"हैलो.....?"
"अरे भाई आगे भी बोलिये !किससे बात करनी है?"
"जी आपसे"
"मुझसे?"
"जी."
"अरे कुछ नाम पता होगा ."
"जी आप ही का नाम है.
"अच्छा ....?"
"मेरे नाम वाले तो बहुतेरे हैं.शायद नम्बर गलत लग गया..आपका."
"नहीं.अबकी सही लगा ."
"कैसे पता?"
"आप तक जो पहुँच गया"
"तो क्या काम है मुझसे?"
"जी,आपका नाम जानना था..."
"अभी तक तो पता था ."
"पर अब याद नहीं."
"बडी कमज़ोर याददाश्त है.जब याद आ जाए तब दुबारा फोन कर लीजियगा"
और मैंने फोन रख दिया .


"हैलो !"
हैलो!"
"हैलो.....?"
आप कहाँ से बोल रही हैं?"
"आपने कहाँ फोन किया ?"
"आप कहाँ से बोल रही हैं?(अब की आवाज़ ज़रा ज़ोर देकर आई)
"आपने कहाँ फोन किया ?"(मैंने भी आवाज़ कडक की)
"लोग बताते ही नहीं कहाँ से बोल रहे हैं"
फोन कट जाता है.


मोबाइल पर मोबाइल से फोन आया ...फिर भी
"हैलो !"
"हैलो!"
"संजय से बात करनी है?"
"यहाँ कोई संजय नहीं है . नंबर चेक कर लीजिये ."
"आपका क्या नम्बर है?"
"आपने जो मिलाया है."
"पर आपका नम्बर क्या है?"
"जो भी है कम से कम संजय का तो नहीं है."
"आप उससे बात करवा सकती हैं?"
"ज़रूर करवा देती ,लेकिन उसका पता ठिकाना नहीं मालूम."
"नम्बर तो यही था ......?आपका नम्बर क्या है ?"
"याद नहीं "
मैं ही फोन काट देती हूँ.

10 टिप्‍पणियां:

ghughutibasuti ने कहा…

बहुत बढ़िया । हम सबके साथ ऐसा होता ही रहता है ।
घुघूती बासूती

Pratyaksha ने कहा…

और कोई रांग नम्बर राईट हो जाये तो ?

नीरज गोस्वामी ने कहा…

रोजाना सामने आने वाली घटना को बड़े दिलचस्प अंदाज़ में पेश किया है आप ने. बधाई
नीरज

अनूप शुक्ल ने कहा…

सही है।फ़ोन के भी क्या लफ़ड़े हैं।

Divine India ने कहा…

बढ़िया लगा आपका यह अंदाज…।

Unknown ने कहा…

:))

राजीव तनेजा ने कहा…

आपने तो फोन काट दिया लेकिन अपने साथ तो और ही कहानी हो गई....
ऐसे ही साल भर पहले एक रांग नम्बर मिल गया...जो मुझे काफी मँहगा पड रहा है..

अब रोज़ तो कई-कई रुपए के एस.टी.डी फोन हो जाते हैँ...और महीने में एक आध डेट भी...

बालकिशन ने कहा…

बड़ा मजेदार वाकया है. मेरे साथ भी एक दो बार ऐसा हुआ है. एक बार तो रात को १.३० बजे राँग नंबर लग गया था और कुछ ऐसा ही घटा था.

mamta ने कहा…

मजेदार लगा ये रांग नम्बर।

वाकई ऐसे लोगों से पीछा छुड़ाने के लिए खुद ही फ़ोन काटना पड़ता है।

पुनीत ओमर ने कहा…

ये सब क्या है जी?? ये तो बड़ा अच्छा तरीका है जी.. गनीमत है आपका नाम पूछने तक ही बात सीमित रही.
खैर आइडिया अच्छा है उन जनाब का जो आपको इतने निर्लिप्त भाव से फोन किए ही जा रहे थे. कभी मौका रहा तो हम भी एक बार तो आजमा कर देखेंगे ही..