दक्षिण पूर्वी एशिया में म्यन्मार, थाईलेंड,वियतनाम ,कम्बोडिया और चीन के बीच स्थित लाओ या फिर लाओस .दिल्ली से बैंगकॉक और फिर वहां से लाओ एरलाईन के विमान से पाक्से .पाक्से लाओ के दक्षिण के प्रांत चम्पासक की राजधानी है और वहां का एक प्रमुख शहर .'से' नदी पर स्थित होने के कारण इसका नाम है पाक्से . लेकिन यहाँ पर एक और नदी 'मेकोंग ' भी बहती है जो लाओ की सबसे बड़ी नदी है .
होटल के कमरे से शहर का दृश्य .
जहां भी जाएं भारतीय मिल ही जायेंगे.यहाँ पर मिला निजाम रेस्तारांत जो एक तमिल भाई ने वहां खोला था और उसे चला रहा था नेपाल का रहने वाला कृष्णा.रात का भोजन यहाँ पर ही किया .
वीसा के लिए फोटो चाहिए था सो पहुँच गए इस दूकान में जहां १० मिनट में डिजिटल तस्वीर निकाल दी.यहाँ पर रुपये के लिए चलता है " कीप "और ८००० कीप एक डॉलर के बराबर हैं. १००० कीप से कम का कोई नोट नहीं. सोचिये वहां की अर्थव्यवस्था किस हाल में है .
लाओ प्रसिद्ध है सिल्क के लिए.यहाँ के हाथ से बुने सिल्क दुनिया भर में मशहूर है. डिजाइन औ रंग देखने लायक थे.हमने भी सिल्क का कपड़ा और एक दुपट्टा लिया .
दूसरे दिन हमें मौका मिला पाक्से करीब २८० किमी दूर एक और प्रान्त अत्तापू जाने का.लाओस अधिकांशत: ग्रामीण अंचल देश है और यहाँ जंगल और हरियाली बहुत है. हरे भरे रास्ते को देख सुकून मिला. यहाँ जनसंख्या कम है सो दिखे कम लोग पर जो मिला मुस्करा रहा था. लकड़ी और सिल्क यहाँ के मुख्य आयात हैं.
लाओस में बुद्ध धर्म के अनुयायी हैं सो जगह जगह बुद्ध मंदिर देखने को मिलते हैं.पाक्से में ऐसा ही एक मंदिर .
5 टिप्पणियां:
कुछ छुट्टी अक्टूबर में प्लान कर रहा हूं.. लाओस अच्छा विकल्प है.. थैंक्स...
Lovely pics !
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bahut sundar varanan.
badhai
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