आजकल एक नया जुनून चढ़ा है ,गोल्फ सीखने का . गोल्फ कोर्स पर तरह तरह के बोर्ड लगे हैं। सबसे पहला हमें सवाधान करने के लिए है. ' गोल्फ एक प्यार की तरह है ,अगर आप उसे तवज्जुह न दें तो मज़ा नहीं है , और अगर बहुत संजीदगी से खेलें तो दिल तोड़ देता है '. शायद यही गोल्फ की सच्चाई है।
मैंने भी शुरू किया सीखना . हर रोज़ सवेरे पहुँच जाती कोर्स पर शुरुआती कक्षाओं के लिए। हर दिन यह बोर्ड पढ़ती और सोचती ऐसा क्या है इस गेम की जो एक बार इसे पकड़ता है,वो दीवाना हो जाता है। कुछ दिन छोटी सी गेंद मारते मारते ,पता ही नहीं चला कि कब दिल में ऐसी जगह बन गयी कि उस टुक टुक कर गेंद को मारने भर के लिए सवेरे उठना एक दिली विविशता बन गयी। साथ में एक ट्रेनर और कैडी है। कैडी है या बेचारा मेरी बेतहाशा इधर उधर पड़ती और मेरे खेल को देखने का कैदी ! क्लब पकड़ने का तरीका उसने सिखाया और फिर कैसे सिर्फ हाथ को ले जायें शरीर को नहीं ,ऐसी असंभव सी ताकीद दी। जब रखा और क्लब घुमाया तो सरसराते हुए क्लब तो घूमा ,पर गेंद वहीं की वहीं ! ट्रेनर ने ताकीद दी आप गेंद को देखते रहें नज़र मत उठाएं . नज़र नीचे ही रखी तो फोलो थ्रू ठीक नहीं था . तौबा ! एक अदद गेंद को सही तरीके से मारना इतना भी आसन नहीं। पर विडम्बना थी कि अगले दिन फिर पहुँच गए सीखने .
आइरन ,क्लब,चिप ,पट ,होल ,टी ऑफ़ ,इन सबसे तो परिचय हो गया . पर 18 होल के कोर्स जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ .कहते हैं,गोल्फ का खेल तो आसन है,पर उसे खेलना मुश्किल .
मैंने भी शुरू किया सीखना . हर रोज़ सवेरे पहुँच जाती कोर्स पर शुरुआती कक्षाओं के लिए। हर दिन यह बोर्ड पढ़ती और सोचती ऐसा क्या है इस गेम की जो एक बार इसे पकड़ता है,वो दीवाना हो जाता है। कुछ दिन छोटी सी गेंद मारते मारते ,पता ही नहीं चला कि कब दिल में ऐसी जगह बन गयी कि उस टुक टुक कर गेंद को मारने भर के लिए सवेरे उठना एक दिली विविशता बन गयी। साथ में एक ट्रेनर और कैडी है। कैडी है या बेचारा मेरी बेतहाशा इधर उधर पड़ती और मेरे खेल को देखने का कैदी ! क्लब पकड़ने का तरीका उसने सिखाया और फिर कैसे सिर्फ हाथ को ले जायें शरीर को नहीं ,ऐसी असंभव सी ताकीद दी। जब रखा और क्लब घुमाया तो सरसराते हुए क्लब तो घूमा ,पर गेंद वहीं की वहीं ! ट्रेनर ने ताकीद दी आप गेंद को देखते रहें नज़र मत उठाएं . नज़र नीचे ही रखी तो फोलो थ्रू ठीक नहीं था . तौबा ! एक अदद गेंद को सही तरीके से मारना इतना भी आसन नहीं। पर विडम्बना थी कि अगले दिन फिर पहुँच गए सीखने .
आइरन ,क्लब,चिप ,पट ,होल ,टी ऑफ़ ,इन सबसे तो परिचय हो गया . पर 18 होल के कोर्स जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ .कहते हैं,गोल्फ का खेल तो आसन है,पर उसे खेलना मुश्किल .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें