रविवार, फ़रवरी 19, 2006

नाम के वास्ते

शेक्सपियर के कथानुसार "What's in a name.A rose by any other name would smell as sweet"आज मेरे मेलबौक्स मे एक astrology की site का मेल था जिसमे मेरे नाम की numerology के हिसाब से विवेचना की गई . मुझे अपने नाम से बहुत शिकयाते है. मैँ हमेशा अपने माता पिता से इस बात पर नाराज़ रह्ती हूँ कि उन्होँने मेरा नाम रखते वक्त ज़रा भी मेहनत नहीँ की और जो पहला नाम मिला वो रख दिया.हम दो बहनेँ हैँ जिनमेँ ढेड साल का अन्तर है. सो हमारे नाम हैँ ...सही पह्चाना ...पूनम -नीलम ! मेरे पिता वैज्ञानिक हैँ और मुझे डर है कि अगर वो सोचने बैठते तो हमारे नाम कुछ इस तरह के होते ....स्मटाइटिस, अथवा रेडोटिस्टिस !!मेरे एक जाननेवाले हैँ जिन्होँने अपनी तीसरी बेटी का नाम रखा 'टर्शिया'! यही मेरे पिता का कहना है .वो कह्ते हैँ कि अपनी मम्मी का शुक्रिया अदा करो कि तुम्हे यह नाम मिल गये. मैँ तो एल्फा ,बीटा, गामा रखने वाला था !
नाम क्या है...हर व्यक्ति की पहचान का माध्यम ,उसका पहला तारूफ .मैँ इस बात से दुखी कि मेरे नाम मेँ एसा कुछ नहीँ है कि कोइ पहली नज़र मैँ इससे प्रभावित हो जाए.पर कहते हैँ कि 'every dog has his day'.और इस नाम कि भी सार्थकता मुझे उस दिन महसूस हुइ जब एक दोस्त ने कहा "Your name has a very feminine feel about it " !उस दिन मेरा नाम मुझे और अज़ीज़ हो गया.
नाम को लेकर कई लोग बडे possessive होते हैँ.
मेरा ११ साल का भान्जा है मानस. उसको बचपन से ही अपने नाम से न सिर्फ लगाव था बल्कि उसके उच्चारण को लेकर बहुत fierce भी. दो साल की उम से ही वो अपने नाम का कोइ अपभ्रॅश स्वीकार नहीॅ करता था. यदि हम प्यार से उसए मनी पुकारते तो वह या तो जवाब नहीॅ देता या फिर आकर बडा ज़ोर देकर हमेँ बताता "मेरा नाम मानस है मनी नहीँ" !हम पहले उसे राँबिन पुकारते थे पर उसे मानस ही ज़्यादा पसँद आया.हमारे घर पर काम करने वाली बाई उसे राँबिन ही पुकारती थी और वह भी इस लह्ज़े मेँ...रबीईन !और तब शुरु होता था मानस और उसका वाक्युद्ध्.मानस अपनी तोतली भाषा मेँ समझाता "मेला नाम मानस है ." और बाई कह्ती "इ नाम हमका नीक नाही लागत.हम तो रबीईन ही बुलाई" .और छोटा मानस उसके बाल नोचता या घर भर मेँ उसका पीछा करते हुए उससे एक ही बात कह्ता "मेला नाम मानस है ".
एसा ही एक कार्यक्रम इस समय भी हमारे यहाँ चालू है...नामकरण का.निकि के छोटे भाई का नाम रखना है और हम सबने इस ज़िम्मेदारी से यह कहकर हाथ झाड लिये कि ये तो माता पिता का prerogative है !और तब तक जब तक उनको कोइ नाम नही भाता ,बच्चा अनेको नामोँ का मालिक ...apple,छोटू,निकि से मेल खाता टिकि,बाबा का बँटी...और न जाने हर दिन मेँ कितने और.

1 टिप्पणी:

रवि रतलामी ने कहा…

सही है, नाम में क्या रक्खा है. अगल लता लता नहीं होतीं, तो भी उनके गले से वही सुर निकलता.

बहरहाल, आपका नाम तो परिपूर्ण चंद्र की याद दिलाता है - और आपकी लेखनी और भाषा भी परिपूर्ण है.

हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका स्वागत् है.