शनिवार, सितंबर 01, 2007

हमतुम


तुम्हारे नाम के साथ जोड लिया
जब से है नाम अपना
ऐसा लगता है सच होने लगा
देखा हुआ हर सपना

तुम साँस लेते हो तो चलती है
घुली हुई साँसें हमारी
दुनिया को देखा था पहले भी कभी
अब जो देखा तो नज़रें तुम्हारीं


9 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

पूनम जी,बहुत भावपूर्ण रचना है।

Udan Tashtari ने कहा…

वाह जी!! बहुत खूब. कहाँ रहती हैं आजकल. दर्शन दुर्लभ.

Reetesh Gupta ने कहा…

अच्छा लगा...बधाई

MEDIA GURU ने कहा…

jo swapn aapne kabhi dekha tha pura huaa. badhai ho.

चलते चलते ने कहा…

पूनम जी आपने पूछा है पावर ग्रिड के बारे में इसे जरुर भरे और यह बेहद फायदेमंद है

Shastri JC Philip ने कहा…

बहुत ही प्रतीकात्मक पंक्तियां. भावना एवं सत्य दोनों का संगम !

-- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!

Abhishek ने कहा…

good poem on togetherness

अजित वडनेरकर ने कहा…

अच्छी रचना .

आशीष "अंशुमाली" ने कहा…

दुनिया को देखा था पहले भी कभी
अब जो देखा तो नज़रें तुम्हारीं
सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति।