देखो नक्शे कदम पर तुम्हारे ऐसे चल रह हैं हम
कदमों के निशां तुम्हारे मिटाते चल रहे हैं हम
पीछे मुडकर न देखना कभी जो राह छोड दी तुमने
तुम्हारे माज़ी को दामन में समेटते चल रहे हैं हम.
तुम न डरना किन्हीं काले सायों से कभी
रुसवाई को तुमसे जुदा करते चल रहे हैं हम
3 टिप्पणियां:
पूनम जी,बहुत सुन्दर गीत है।बधाई।
तुम नहीं डरना किसी काले सायों से कभी
रुसवाई को तुमसे जुदा करते चल रहे हैं हम
अच्छा लगा पढ़कर ....बधाई
पीछे मुडकर न देखना कभी जो राह छोड दी तुमने
तुम्हारे माज़ी को दामन में समेटते चल रहे हैं हम.
वाह! बड़ा उम्दा लगा ये शेर ।
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