शुक्रवार, जुलाई 27, 2007

साया

देखो नक्शे कदम पर तुम्हारे ऐसे चल रह हैं हम
कदमों के निशां तुम्हारे मिटाते चल रहे हैं हम

पीछे मुडकर न देखना कभी जो राह छोड दी तुमने
तुम्हारे माज़ी को दामन में समेटते चल रहे हैं हम.

तुम न डरना किन्हीं काले सायों से कभी
रुसवाई को तुमसे जुदा करते चल रहे हैं हम

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

पूनम जी,बहुत सुन्दर गीत है।बधाई।


तुम नहीं डरना किसी काले सायों से कभी
रुसवाई को तुमसे जुदा करते चल रहे हैं हम

Reetesh Gupta ने कहा…

अच्छा लगा पढ़कर ....बधाई

Manish Kumar ने कहा…

पीछे मुडकर न देखना कभी जो राह छोड दी तुमने
तुम्हारे माज़ी को दामन में समेटते चल रहे हैं हम.


वाह! बड़ा उम्दा लगा ये शेर ।