होली के रंग हैं
रंगे अंग अंग हैं
अंग में तरंग है
तरंग से उमंग है ।
अबीर है गुलाल है
गुलाल से लाल है
लाल हुए गाल हैं
गले सब मलाल हैं
नगाड़ा है ढोल है
ढोल के बोल हैं
बोल पर डोल रहे
डोले दिल खोल हैं
मस्तानों की टोली है
टोली में रंगोली है
रंगों की यह होली है
होली में ठिठोली है ।
रंगे अंग अंग हैं
अंग में तरंग है
तरंग से उमंग है ।
अबीर है गुलाल है
गुलाल से लाल है
लाल हुए गाल हैं
गले सब मलाल हैं
नगाड़ा है ढोल है
ढोल के बोल हैं
बोल पर डोल रहे
डोले दिल खोल हैं
मस्तानों की टोली है
टोली में रंगोली है
रंगों की यह होली है
होली में ठिठोली है ।
7 टिप्पणियां:
सुन्दर मस्ती भरी रचना. आभार.
होली के रंग में अभी तक है आप :) बहुत बढ़िया लिखी आपने कविता
मस्त मस्त-बढ़िया बढ़िया.
होली की मुबारकबाद.
अच्छी रचना है ...
i liked your poems...
वाहवा अच्छी rachna आपको बधाई
नई पोस्ट की प्रतीक्षा है।
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