शुक्रवार, मार्च 13, 2009

होली के रंग

होली के रंग हैं
रंगे अंग अंग हैं
अंग में तरंग है
तरंग से उमंग है ।

अबीर है गुलाल है
गुलाल से लाल है
लाल हुए गाल हैं
गले सब मलाल हैं

नगाड़ा है ढोल है
ढोल के बोल हैं
बोल पर डोल रहे
डोले दिल खोल हैं

मस्तानों की टोली है
टोली में रंगोली है
रंगों की यह होली है
होली में ठिठोली है ।

7 टिप्‍पणियां:

P.N. Subramanian ने कहा…

सुन्दर मस्ती भरी रचना. आभार.

रंजू भाटिया ने कहा…

होली के रंग में अभी तक है आप :) बहुत बढ़िया लिखी आपने कविता

Udan Tashtari ने कहा…

मस्त मस्त-बढ़िया बढ़िया.

होली की मुबारकबाद.

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी रचना है ...

बेनामी ने कहा…

i liked your poems...

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाहवा अच्छी rachna आपको बधाई

Science Bloggers Association ने कहा…

नई पोस्ट की प्रतीक्षा है।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?