इन्द्रधनुष के नन्हें पाठकों को इस बार में वेनिस घुमाने ले गयी
"घुमंती बेन, लगता है आइस्लेंड के ज्वालामुखी ने आपके घुमक्कड़ पैरों पर रोक लगा दी है. "
"हम्म ! ऐसा कभी हो सकता है क्या ? २१ अप्रेल से यूरोप के हवाई अड्डे दुबारा खुल गए और मैंने भी तुरंत टिकट कटाया और पहुँच गयी एक और विश्व विरासत स्थल देखने ! इस बार मैं एक ऐसी जगह पहुँची जहाँ एक पूरा का पूरा शहर ही विश्व विरासत स्थल है. इस शहर के बारे में जितना कहा जाये कम है. जानते हो इसे कितने नामों से जाना जाता है... " फ्लोटिंग सिटी " मतलब तैरता शहर;'पुलों का शहर' ,'क्वीन ऑफ़ अद्रियातिक' ; 'नहरों का शहर' .यह शहर है इटली का बहुत ही प्रसिद्ध समुद्र तट पर बसा वेनिस , जहाँ घरों के पिछवारे खुलते हैं पानी की लहरों में और सड़क की जगह है नहरें. तमाम छोटे बड़े पुलों से भरा है यह अनूठा शहर .अद्रियातिक समुद्र(Adriatic sea ) के तट पर समुद्र के कम गहराई वाले भाग ,लगून(lagoon) , पर बसा यह शहर ११७ टापुओं को मिलाकर बना है और इन छोटे छोटे टापू में सडकों का काम करती हैं समुद्री नहरें . मैं तो वेनिस मैं न ठहर कर यहाँ से कुछ २० किमी दूर एक छोटे शहर मेस्त्रे में ठहरी थी. वहां से हर दिन सवेरे बस पकड़ कर वेनिस आ जाती और आराम से दिन भर घूमती. बस हमें शहर के एक तरफ , पिआज़ाले रोमा , पर उतार देती और फिर हम पार करते एक बड़ी नहर यानी ग्रांड केनाल . वेनिस को भू भाग से जोड़ने के लिए तीन बड़े पुल बने हैं.. हमारे बस स्टॉप के पास था 'पोंते दी रिआल्तो ' जिसे पार करके हम पहुंचे वेनिस शहर. यह शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ कोई कार नहीं,कोई बस नहीं.जिसको घूमना है वह पैदल जाए या फिर नाव से ! हाँ यहाँ घूमने के लिए शहर का नक्शा साथ में रखना ज़रूरी है. गलियों के बीच घूमते घूमते खो गए तो? वैसे तो लोग बहुत ही मददगार हैं पर इतने सैलानी यहाँ आते हैं कि सबकी मदद करते रहना भी थोडा मुश्किल हो जाता है. अगर नहर से घूमना है तो उसके लिए यहाँ पर मिलती हैं अलग किस्म की नावें .सबसे मशहूर नाव है गोंडोला , जो एक लम्बी,पतली काले रंग की नाव होती है. इनके नाविकों को कहते हैं गोंड़ोलियर यह हमारे कश्मीर के शिकारा की तरह बहुत सजाई जाती हैं.लेकिन अब यह या तो सैलानियों को घुमाने के काम आती हैं या फिर शादी या कोई और समारोह के समय. सड़क पर चलने वाली बस की तरह वहां पर भी नहर पर नाव ली बस चलती हैं जिन्हें कहते हैं वेपोरेती . या फिर जैसे हम लोगों के पास अपनी कार,स्कूटर या साइकिल होती है वैसे ही यहाँ लोग नाव रखते हैं !
वेनिस पहुँचते ही हमने अपना घूमना शुरू कर दिया और गलियों से होते हुए पहुँच गए एक छोटे खुली जगह पर .यहाँ हर जगह ऐसा होता है गलियाँ खुलती हैं छोटे या बड़े चौकनुमा जगह पर.यह बड़ी सी खुली जगह होती है जहाँ दुकानें,खाने की जगह वगैरह होती हैं.लोग यहाँ मिलते हैं,बैठकर गप्प करते हैं.ऐसी छोटे खुले चौक को कहते हैं केम्पियेलो और बड़े को केम्पो. ग्रेंड कनेल के अलावा पूरा शहर नहर के जाल सा है इसलिए हर जगह दिख जायेंगे छोटे छोटे पुल. ज़रा सोचिए वेनिस में कुल ४५५ छोटे पुल हैं ! बहुत खूबसूरत दृश्य होता है ,पुल पर खड़े हो कर आसपास देखना .घर के दरवाज़े पर लपलपाता पानी , नहर किनारे कुछ कुर्सियां,मेज़ और लोग बैठकर यहाँ खाने का मज़ा ले रहे हैं ,कभी एक गोंडोला दिख गया ,कभी छोटी नाव. खास तौर से रात में जब रोशनी पानी में प्रतिबिंबित होती है तो लगता है रोशन शहर तैर रहा हो .घूमते हुए मुझे लगा कि यहाँ के घर और भवन बने कैसे होंगे? आखिर पानी में इनकी नींव कैसे रखी गयी?
पता चला कि यहाँ के घर और इमारतें वास्तव में लकड़ी के ढेर के ऊपर बने हैं.सदियों पहले यह लकड़ी स्लोवेनिया नाम के देश से यहाँ लाई गयी . समुद्र में यह उस सतह तक नीचे उतारी गयी जहां रेत और हल्की मिट्टी के बाद सख्त चिकनी मिट्टी यानि क्ले है .पानी में नीचे ऑक्सीजन न होने के कारण लकड़ी सडती नहीं है. फिर समुद्री पानी में कई तरह के तत्व होते हैं जिससे यह लकड़ी भी एकदम सख्त हो जाती है. इस लकड़ी के ऊपर फिर इमारत की नींव बनी और ताज्जुब की बात यह है कि सदियों बाद भी यह इमारतें ढही नहीं हैं. ऐसे शहर में सबसे ज्यादा डर होता है कि धीरे धीरे शहर समुद्र में डूब जाएगा. वेनिस में यह खतरा हमेशा रहता है. अभी भी समुद्र की लहरें जब ऊंची हो जाती हैं तब पानी इन भवनों के अन्दर आ जाता है . इनकी नींव तो मजबूत है पर घरों के अन्दर पानी भर जाने से वहां की इंटों को नुक्सान को पहुँच रहा है. और भवनों को भी !
वेनिस की सबसे प्रमुख जगह है पियाज़ा सेन मार्को .यह वहां का सबसे बड़ा चौक है . यहाँ है सेंत मार्क बेसिलिका जो एक बहुत बड़ा चर्च है और वेनिस के पुराने ज़माने के मुखिया ,जिन्हें "दोगे" कहते थे ,का महल .यह दो शानदार इमारतें ग्रेंड केनाल के पास स्थित हैं और इन्हें घूमने में काफी समय लग गया. यहाँ दोगे के महल में था एक पुल जिसका नाम है आहों का पुल या फिर ब्रिज ऑफ़ साईस(bridge of sighs) , जो महल को कारागार से जोड़ता है. इस पुल को पार करते समय बंदी आख़िरी बार वेनिस को देख पाते और इसलिए एक छोटी खिड़की से समुद्र को देखकर आहें भरते थे.
वेनिस में घूमते रहना ही एक बड़ा दिलचस्प अनुभव है क्योंकि हर नुक्कड़ पर आपको कोई भवन, कोई चर्च कोई म्यूज़ियम मिल जाता है. कुछ नहीं तो यहाँ की दुकानों,का मज़ा लीजिये.पुल पर खड़े होकर नाव का आना जाना देखिये और खो जाइए यहाँ के इतिहास में. वेनिस में एक बहुत प्रिय त्यौहार होता है " कार्निवल " .इसमें लोग तरह तरह के मुखौटे लगा कर भाग लेते हैं. इसको तो मैं नहीं देख पायी लेकिन इस समय यहाँ इतनी भीड़ हो जाती है कि पैर रखने की जगह नहीं होती !
"लगता है मुझे फिर से वहां की सैर करनी होगी. लेकिन यह त्यौहार तो मार्च महीने के आसपास होता है.उससे पहले तो पूरा साल पड़ा है खुद घूमने और तुम लोगों को घर बैठे घुमाने का."
5 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया पोस्ट.
वाह!! इसी शहर को बखानते हमने भी कभी कलम चलाई थी. मौका लगे तो देखियेगा:
http://taau.taau.in/2010/01/blog-post_27.html
नदी में उगा एक शहर- वेनिस!! : उडनतश्तरी
सुन्दर वर्णन
क्या खूब लिखा है। आपने अपनी लेखनी से जिन शब्दो को लिखा वह शब्द ही नहीं बल्कि आपने पूरे शहर को दिखा दिया,क्या शहर है गजब का। जब मै पढ़ रहा था तो मुझे लगा कि मै लेख नही बल्कि वेनिस शहर में घूम रहा हूं मजा आ गया
wwwkufraraja.blogspot.com
मन हिलोरे ले रहा है कि कैसे वहाँ पहुंचा जाए। साथ ही दुख यह भी है कि अपना तो पासपोर्ट भी नहीं बनेगा।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
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