अन्ना हजारे का उपवास जारी था.हम सवेरे आफिस के लिए निकले और दिल्ली से गुरगांव वाले रास्ते पर यही सब मनन चिंतन करते हुए चले जा रहे थे. क्राउन प्लाज़ा पर एक्सप्रेसवे से बाहर निकलना था. सामने देखा कुछ जेम सा नज़र आया .शायद आगे की बत्ती लाल हो. उस बाहर जाने वाले रास्ते से पहले एक अन्दर आने का रास्ता है. देखा लोगों ने गाडी मोड़ दी और उस अन्दर के रास्ते से बाहर की ओर जाने लग गए.एक और जेम शुरू हो गया .क्या नियमों का उल्लंघन करना ठीक था ?
कल हमारे घर में काम करने वाला बड़ा खुश दिखा .दिन भर कहीं गायब था. मैंने पूछा ,क्या हो गया ? बोला आज कार चलाने का लाईसेंस बनवा लिया! मैंने पूछा ,"किसका?" अपना ! अरे कार साफ़ करने के अलावा तो तुमने कार आज तक छुई नहीं है. एक हज़ार रुपये दिए और मुझे लाईसेंस मिल गया. दो हज़ार बोल रहा था पर मैंने भी एक हज़ार पर जिद्द पकड़ ली थी. कार क्या उसने आजतक साइकिल छोड़ कर स्कूटर तक को हाथ नहीं लगाया है.
मेमसाहब आपके आफिस में कोई जगह नहीं निकलती,मेरे भाई को लगवा दीजिये.पर वो तो घूमता रहता है.आठवीं के बाद पढ़ा ही नहीं है. और नौकरी के लिए कम से कम इंटर तो होना चाहिए. अरे मेमसाहब , सर्टिफिकेट तो मैंने बनवा लिया है .
पी ऍफ़ से एक लाख रुपये निकालने हैं.क्या हो गया. बच्चे की शादी हो रही है क्या? नहीं ,सरकारी दफ्तर में नौकरी के लिए देने हैं. पर उसकी तनखाह कितनी होगी . १५००० महीने शायद .तब तो १ लाख कितने साल में वापस आयेगा. अरे नौकरी लगने के बाद बहुत से कमाई के रास्ते खुल जायेंगे.
बिजली का बिल सालों से मीटर न लगे होने की वजह से भरा नहीं गया है.अब सरकार ने मुहिम छेड़ी है ,बकाया पैसे वसूलने की. कैसे भरेंगे इतने रुपये.फ़िक्र मत करो, चलो दफ्तर चलते हैं. सौदा तय हुआ,बिल कम हो गया . सरकारी खजाना किसी और का हो गया .
पी ऍफ़ से एक लाख रुपये निकालने हैं.क्या हो गया. बच्चे की शादी हो रही है क्या? नहीं ,सरकारी दफ्तर में नौकरी के लिए देने हैं. पर उसकी तनखाह कितनी होगी . १५००० महीने शायद .तब तो १ लाख कितने साल में वापस आयेगा. अरे नौकरी लगने के बाद बहुत से कमाई के रास्ते खुल जायेंगे.
बिजली का बिल सालों से मीटर न लगे होने की वजह से भरा नहीं गया है.अब सरकार ने मुहिम छेड़ी है ,बकाया पैसे वसूलने की. कैसे भरेंगे इतने रुपये.फ़िक्र मत करो, चलो दफ्तर चलते हैं. सौदा तय हुआ,बिल कम हो गया . सरकारी खजाना किसी और का हो गया .
यह सब वास्तविक ज़िंदगी के उदाहरण हैं. अन्ना हजारे के अनशन से यह सब प्रश्न भी सामने आते हैं.क्या हम नैतिक तौर से भ्रष्टाचार हटाने के लिए तैयार हैं. क्या हम भारतीयों के चरित्र मैं ही कोई त्रुटी है कि हम नियमों का उल्लंघन करने , किसी काम के लिए मेहनत न कर शोर्ट -कट लेने , देश की संपत्ति का आदर न करने ,इन सब में माहिर हैं .क्या भ्रष्टाचार ऐसे ही आचरण से दूर हो पायेगा.? जन लोकपाल बिल तो ठीक है पर इन सबका इलाज तो हमारे अपने पास ही है.हर नागरिक वैयक्तिक स्तर पर ज़िम्मेदार है हमारे देश के इस हाल के लिए.
1 टिप्पणी:
सही कह रही हैं आप। अन्ना की सफलता इसी बात में निहित है कि क्या वो आम भारतीय को रिश्वत देने और लेने से विमुख कर सकते हैं।
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