नए साल में कुछ नया करो
ठंडी से एक आह भरो
कोहरे भरे भोर में बाहर चलो
सांस निकालो,धुआं करो
रात अंधेरी सिहरते ओढो
गली गली कुछ गाते घूमो
एक जलाओ अलाव कहीं
अलसाई सी कुछ राग छेड़ो
हसंते हुए कुछ याद करो
पुराने पल की बात करो
पहले क्रश को बयान करो
कुछ खिसियाओ ,संकोच करो
कलेंडर को बदलते हुए
कुछ लम्हे संजो कर रखो
क्या नया करना है सोचो
नए साल को सलाम करो
ठंडी से एक आह भरो
कोहरे भरे भोर में बाहर चलो
सांस निकालो,धुआं करो
रात अंधेरी सिहरते ओढो
गली गली कुछ गाते घूमो
एक जलाओ अलाव कहीं
अलसाई सी कुछ राग छेड़ो
हसंते हुए कुछ याद करो
पुराने पल की बात करो
पहले क्रश को बयान करो
कुछ खिसियाओ ,संकोच करो
कलेंडर को बदलते हुए
कुछ लम्हे संजो कर रखो
क्या नया करना है सोचो
नए साल को सलाम करो
1 टिप्पणी:
नव वर्ष पर सार्थक रचना
आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
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