एक दिन सवेरे चाय बनाने रसोई में गयी तो दो आँखों को खिड़की से झांकते हुए देखा। हरी आँखों में कौतूहल था और थोड़ा भय भी। मैं चाय बनाने में लग गयी। क़ुछ देर बाद देखा चार आँखें अंदर ताक रही थीं। याद आया कुछ दिन पहले एक बिल्ली को तीन छोटे बच्चों के साथ घूमते देखा था। लगता है उन्हें मेरा पिछवाड़ा रास आ गया। सोचने लगी कि दो बच्चे तो यह रहे पर तीसरा कहाँ है ?फिर रोज़ की तरह पीछे का दरवाज़ा खोला तो पैर में एक नरम सा एहसास हुआ और फिर दूर भागती तीसरी बच्ची भी दिख गयी। बाकी दोनों भी तब तक दूर भाग गयी थीं। तब से अब यह रोज़ का नियम हो गया है। जब भी पीछे का दरवाज़ा खोलती हूँ तो यह तीनों जाली से सटकर बैठी मिलती हैं। उस दिन उनकी म्याऊं म्याऊं सुनकर मैंने एक रोटी और दूध पीछे रख दिया था। यह भी एक नियम हो गया है। सवेरे दूध रोटी न पाकर उनकी म्याऊं की आवाज़ में पहले थोड़ी मिन्नत का स्वर आता है और फिर थोडी देर बाद झिड़की और फिर गुस्सा। वैसे मैंने देखा है कि दूध रोटी मिलने पर वह तुरंत दौड़ कर उसके पास जाती हैं पर थोड़ा सा चखने भर का खाने के बाद वहां से हट जायेंगीं। उसके बाद वह खाना शाम तक ही ख़त्म होता है।
अब तो यह तीनों हम सब के लिये मनोरंजन का साधन हैं। सामने की ओर बड़ा सा लॉन होने की वजह से हम पीछे कम ही बैठते हैं। न के बराबर। पर अब सवेरे सबसे पहला काम तो उन्हें देखना होता ही है ,दिन में भी कई कई दफा हम पीछे झांक लेते हैं। तीनों की फितरत अलग अलग ही है। दो तो भूरी और सफ़ेद हैं और एक काली और सफ़ेद। इनमें से एक तो काफी निडर है। यह" कैमरोन डायज़" है जो हमें देख कर भागती नहीं है और हम कई बार उसे पकड़ कर उठा चुके हैं। बाकी दोनों तो दूर छिटक जाती हैं। यह हम समझ नहीं पा रहे है कि यह पहली बिल्ली निर्भीक है या फिर थोड़ी बुद्धू भी। दूसरी भूरी बिल्ली "ड्रू बेरीमोर"सबसे शर्मीली लगी और बहुत दूर भाग जाती है। काली वाली जिसे हम "हेली बेरी" कहते हैं कुछ मध्य दूरी पर रहती है। उसको भी एक बार पकड़ा था पर वह पंजा चलाने लगी।
अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं और अब यह बड़ी हो रही हैं। पर इनको घर के अंदर आने की इजाज़त नहीं है। हम कई बार अंदर से इनके आपस के खेल देखते हैं। पेड़ पर चढ़ना और फिर एक दूसरे को गिराना। एक दूसरे को चैन से बैठने नहीं देतीं। एक अगर लेटी हुई है तो दूसरी दौड़ते हुए आएगी उसके ऊपर चढ़ने। पीछे एक सहजन का ऊंचा पेड़ है.पहले उन्हें देखती थी उस पर चढ़ने की कोशिश करते हुए। अब तो फुर्ती से चढ़ जाती हैं। यह फुर्ती तब बहुत दिखी जब एक कुत्ता अंदर घुस आया। क्या गजब तेजी से सब किसी किसी पेड़ पर चढ़ गयीं। काली वाली पेड़ तक नहीं पहुँच पायी तो रसोई की खिड़की पर ही बैठ गयी। कुत्ता भी क्यों भागता ? उसे तो रात की दावत के सपने दिखाई पड़ने लगे। खैर बाहर निकल कर मैंने उसे भगाया और इन तीनों की सांस में सांस आई। हो सकता है मेरी नेक नियती पर भी कुछ भरोसा हो गया हो। आशचर्य की बात तो यह है कि हम जब अपने कुत्ते सिम्बा को बाहर निकालते हैं तब यह नहीं भागती। पहले तो थोड़ा सावधान मुद्रा में उसको भांपती हैं,थोड़ा पीछे हटती हैं पर भागती नहीं है। सिम्बा भी उन्हें सूंघ कर ,परिचय बढ़ाकर अपने में मस्त हो जाता है।मिलकर खुश ही होता है क्योंकि उसकी पूंछ ज़ोर से हिलने लगती है। गोल गोल भी घूमी जो कि सिर्फ खास दोस्तों के लिए ही घूमती है।
सहजन का पेड़ तो फिर भी इनकी भागदौड़ सह लेता है पर मेरा छोटा सा मीठी नीम का पेड़ तो अभी पतला सा ही है। यह जब उस पर धमा चौकड़ी मचाती हैं तो उस पेड़ की पतली कमर क्या हिचकोले लेती है ! लगता है अब टहनी टूटी तब टूटी. इनमें से एक ऊपर चढ़ेगी तो दूसरी नीचे से उसे खींचेगी। उसको नीचे गिराकर खुद ऊपर चढ़ जाएगी। यही सिलसिला चलता रहता है। एक दिन मैंने अपनी 'ड्रू बेरीमोर' को देखा 'हेली बेरी के साथ मुक्केबाजी कर रही थी। उसको दो घूंसे ऐसे लगाए कि हमारी प्यारी हेली वहां से भाग ही गयी। यह सब अंदर से देखने पर बड़ा मज़ेदार लगता है। कई बार सोचा कि बाहर निकल कर इसे फिल्म कर लें। पर जैसे ही बाहर निकलो यह सब अपना खेला छोड़ खाने की आस में आसपास घूमने लग जाती हैं। वैसे शायद अब वह मेरे काले आईपेड से परिचित हो गयी होंगी ,क्योंकि मैं अक्सर उसे हाथ में लेकर पीछे निकलती हूँ। इनकी हर अदा को कैमरे में उतारने के लिए। मैंने इन्हें आपस में लाड प्यार करते भी देखा है. शायद माँ की कमी महसूस होती होगी क्योंकि एक दूसरे के सीने में मुंह घुसाकर दूध पीने वाली मुद्रा में भी इन्हें देखा है य़ा फिर एक दूसरे को सहलाते हुए। कभी तीनों एक दूसरे के ऊपर लद कर सो जाती हैं।
वैसे वो दरवाज़े के बाहर से ही अभी तक घर के अंदर बड़ी उत्सुकता वाली दृष्टि से देखती हैं। पर आज काली वाली ने थोड़ी हिम्मत दिखाई। मैंने जैसे दरवाज़ा खोला वह पैर के बीच से अंदर पहुँच गयी. पर संकोच था या फिर सिम्बा को अंदर बैठे देख सहम गयी। तुरंत वापस आ गयी। दिन पर दिन यह बड़ी होती जा रहीं है। अब अपना शिकारऔर खाना खुद दूंढ़ेंगीं। मैंने इन्हें खेत को पंजों से कुरेदते देखा है। मेरे किचन गार्डेन का एक छोटा सा हिस्सा इनके खोदने से खराब हो गया है। हो सकता है चूहे वगैरह कुछ कम हो गए हों। जो भी हो इन तीनों बिल्लियों ने हमारा दिल तो जीत ही लिया है। एक से दोस्ती हो गयी है.बाकी दोनों का भरोसा जीतना है। जब मैं तीनों को अपनी गोदी में उठकर एक फोटो खिचवाऊंगी तब बात बनेगी इस दोस्ती की !
अब तो यह तीनों हम सब के लिये मनोरंजन का साधन हैं। सामने की ओर बड़ा सा लॉन होने की वजह से हम पीछे कम ही बैठते हैं। न के बराबर। पर अब सवेरे सबसे पहला काम तो उन्हें देखना होता ही है ,दिन में भी कई कई दफा हम पीछे झांक लेते हैं। तीनों की फितरत अलग अलग ही है। दो तो भूरी और सफ़ेद हैं और एक काली और सफ़ेद। इनमें से एक तो काफी निडर है। यह" कैमरोन डायज़" है जो हमें देख कर भागती नहीं है और हम कई बार उसे पकड़ कर उठा चुके हैं। बाकी दोनों तो दूर छिटक जाती हैं। यह हम समझ नहीं पा रहे है कि यह पहली बिल्ली निर्भीक है या फिर थोड़ी बुद्धू भी। दूसरी भूरी बिल्ली "ड्रू बेरीमोर"सबसे शर्मीली लगी और बहुत दूर भाग जाती है। काली वाली जिसे हम "हेली बेरी" कहते हैं कुछ मध्य दूरी पर रहती है। उसको भी एक बार पकड़ा था पर वह पंजा चलाने लगी।
अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं और अब यह बड़ी हो रही हैं। पर इनको घर के अंदर आने की इजाज़त नहीं है। हम कई बार अंदर से इनके आपस के खेल देखते हैं। पेड़ पर चढ़ना और फिर एक दूसरे को गिराना। एक दूसरे को चैन से बैठने नहीं देतीं। एक अगर लेटी हुई है तो दूसरी दौड़ते हुए आएगी उसके ऊपर चढ़ने। पीछे एक सहजन का ऊंचा पेड़ है.पहले उन्हें देखती थी उस पर चढ़ने की कोशिश करते हुए। अब तो फुर्ती से चढ़ जाती हैं। यह फुर्ती तब बहुत दिखी जब एक कुत्ता अंदर घुस आया। क्या गजब तेजी से सब किसी किसी पेड़ पर चढ़ गयीं। काली वाली पेड़ तक नहीं पहुँच पायी तो रसोई की खिड़की पर ही बैठ गयी। कुत्ता भी क्यों भागता ? उसे तो रात की दावत के सपने दिखाई पड़ने लगे। खैर बाहर निकल कर मैंने उसे भगाया और इन तीनों की सांस में सांस आई। हो सकता है मेरी नेक नियती पर भी कुछ भरोसा हो गया हो। आशचर्य की बात तो यह है कि हम जब अपने कुत्ते सिम्बा को बाहर निकालते हैं तब यह नहीं भागती। पहले तो थोड़ा सावधान मुद्रा में उसको भांपती हैं,थोड़ा पीछे हटती हैं पर भागती नहीं है। सिम्बा भी उन्हें सूंघ कर ,परिचय बढ़ाकर अपने में मस्त हो जाता है।मिलकर खुश ही होता है क्योंकि उसकी पूंछ ज़ोर से हिलने लगती है। गोल गोल भी घूमी जो कि सिर्फ खास दोस्तों के लिए ही घूमती है।
कैमरोन डायज़ |
वैसे वो दरवाज़े के बाहर से ही अभी तक घर के अंदर बड़ी उत्सुकता वाली दृष्टि से देखती हैं। पर आज काली वाली ने थोड़ी हिम्मत दिखाई। मैंने जैसे दरवाज़ा खोला वह पैर के बीच से अंदर पहुँच गयी. पर संकोच था या फिर सिम्बा को अंदर बैठे देख सहम गयी। तुरंत वापस आ गयी। दिन पर दिन यह बड़ी होती जा रहीं है। अब अपना शिकारऔर खाना खुद दूंढ़ेंगीं। मैंने इन्हें खेत को पंजों से कुरेदते देखा है। मेरे किचन गार्डेन का एक छोटा सा हिस्सा इनके खोदने से खराब हो गया है। हो सकता है चूहे वगैरह कुछ कम हो गए हों। जो भी हो इन तीनों बिल्लियों ने हमारा दिल तो जीत ही लिया है। एक से दोस्ती हो गयी है.बाकी दोनों का भरोसा जीतना है। जब मैं तीनों को अपनी गोदी में उठकर एक फोटो खिचवाऊंगी तब बात बनेगी इस दोस्ती की !
2 टिप्पणियां:
😊😊😊 drew Barrymore Haley berry and bold Cameron Diaz 😃
Every day events captured so beautifully. Very lively and endearing
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