बदल गयी है दुनिया कैसे , कैसे अजब नज़ारे हैं
आसमान में धुंधले अब तो, दिखते भी सितारे हैं।
हर तरफ है धुआं फैला हर तरफ कुछ मैला है
हर इंसान को दिखता जब सिर्फ पैसों का थैला है !
अभी सड़क बनी नहीं कि पड़ने लगीं दरारें हैं
तारकोल जैसा भी हो लालच की खूब मिसालें हैं
पैर तले ज़मीन खिसक गयी ऊपर खूब प्रदूषण है
फेफडे बोले हाय राम यह कैसा गजब कुपोषण है
आक्सीजन के नाम पर अंदर, आता विष प्रवाह है
क्या होती थीं साँसे जानें ,अब लेते हम सिर्फ आह हैं !
जान जाने के भी देखो कितने नए नये तरीके हैं
मनचले पियक्क्ड़ की गाड़ी कितनो को घसीटे है!
कुछ कमाल दिखाती है अपना ,नकली दवा की बोतल भी
बाकी हाथ बटाने आयी ,भोजन में हुई मिलावट भी।
हमने भी मारी एक कुल्हाड़ी ज़ोर से अपने पैरों पर
बलि चढ़ गया चलना फिरना ,कम्प्यूटर के चेहरों पर।
बदल गयी है दुनिया कैसे कैसे अजब नज़ारे हैं
अपनी ही फोटो खींचे सब ,बस अपने ही सहारे हैं !
आसमान में धुंधले अब तो, दिखते भी सितारे हैं।
हर तरफ है धुआं फैला हर तरफ कुछ मैला है
हर इंसान को दिखता जब सिर्फ पैसों का थैला है !
अभी सड़क बनी नहीं कि पड़ने लगीं दरारें हैं
तारकोल जैसा भी हो लालच की खूब मिसालें हैं
पैर तले ज़मीन खिसक गयी ऊपर खूब प्रदूषण है
फेफडे बोले हाय राम यह कैसा गजब कुपोषण है
आक्सीजन के नाम पर अंदर, आता विष प्रवाह है
क्या होती थीं साँसे जानें ,अब लेते हम सिर्फ आह हैं !
जान जाने के भी देखो कितने नए नये तरीके हैं
मनचले पियक्क्ड़ की गाड़ी कितनो को घसीटे है!
कुछ कमाल दिखाती है अपना ,नकली दवा की बोतल भी
बाकी हाथ बटाने आयी ,भोजन में हुई मिलावट भी।
हमने भी मारी एक कुल्हाड़ी ज़ोर से अपने पैरों पर
बलि चढ़ गया चलना फिरना ,कम्प्यूटर के चेहरों पर।
बदल गयी है दुनिया कैसे कैसे अजब नज़ारे हैं
अपनी ही फोटो खींचे सब ,बस अपने ही सहारे हैं !
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