इन्द्रधनुष के लिया लिखा एक लेख ।
सांप का नाम सुनते ही हम सबको बस एक चीज़ ध्यान में आती है और वह है सांप का ज़हर । सांप के डसने से सबको डर लगता है और इसलिए सांप दिखते ही उसे मार दिया जाता है। .लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं की सांप का ज़हर हमेशा जान ही ले ले.कभी कभी वह जान बचने के भी काम आता है. है न आर्श्चय की बात? पर सच है! सोचो तो कैसे ? दरअसल बात यह है कि सांप का ज़हर शरीर में पहुंचकर ,अलग अलग तरीकों से शरीर के भागों पर असर डालता है. पर यह बात हमें पता कैसे चली.आस्ट्रेलिया के एक वैज्ञानिक ब्रायन ग्रेग फ्राई जब पढ़ रहे थे तब अपने पढाई के काम के लिया उन्हें एक "स्टीफेंस बैंदेड " नाम का सांप पकड़ना था.यह आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला बहुत ही विषैला सांप होता है. फ्राई को डर तो लग रहा था पर उस पकड़ना उनके लिए बहुत ज़रूरी था. पर पकड़ने में ज़रा सी चूक हो गयी और सांप ने उन्हें काट लिया. फ्राई तुंरत बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, पर सांप के काटने के बावजूद फ्राई ने हिम्मत नहीं हारी बल्कि वह सोचने लगे कि ज़हर में ऐसा क्या था जिससे कि वह बेहोश हो गए.उन्होंने तय किया कि वह सांप और अन्य ज़हरीले मेंढक .घोघा,छिपकली,बिच्छू आदि जानवरों के विष पर रिसर्च करेंगे.
दुनिया भर नें उनके जैसे कई वैज्ञानिक इस काम में जुटे हैं.वह एकदम नए नए तरीकों से यह तलाशने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर जानवरों का ज़हर किन चीज़ों से बना होता है. .सालों तक मेहनत कर फ्राई ने खोज निकाला कि जिस सांप ने उन्हें काटा था उसका ज़हर शरीर में जाकर खून की नली को चौडा कर देता है और वह फ़ैल जातीं हैं.इससे खून का दबाव कम हो जाता है.यानि कि शरीर में रक्तचाप गिर जाता है. तभी सांप के काटने पर फ्राई बेहोश हो गए थे.फ्राई ने पाया कि अगर इस ज़हर कि एक छोटी खुराक किसी ऐसे आदमी को दे दी जाए जिसे ऊँचे रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) की शिकायत है तो उसका रक्तचाप गिर जायेगा, कई बार जब रक्तचाप बहुत बढ़ जाता है तो मरीज को दिल का दौरा पड़ जाता है. इस तरह के दिल के दौरे के लिए यह ज़हर दवा का काम करता है ! है न कितनी अद्भुत बात ! ऐसा ही एक और सांप है "ग्रीन मम्बा " जो अफ्रीका में पाया जाता है,उसका ज़हर भी इस तरह की दवाई बनाने के काम आता है. इसी तरह एक सांप के ज़हर में ऐसा प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर की मांसपेशियों को जकड देता है.मांसपेशियों(muscles) के जकड़ जाने से दिल और फेफडे काम करना बंद कर देते हैं . एक अन्य तरह का ज़हर जब शरीर में फैलता है तो खून के थक्के बना देता है. इस ज़हर से खून की नालियों में जगह जगह खून जमने लग जाता है और बहना बंद हो जाता है. क्या आपने गौर किया है कि जब आपको चोट लगती है तब थोड़ी देर तक तो खून बहता है ,और उसके बाद वहां जमने लग जाता है.इसे ब्लड क्लोटिंग कहेते हैं और यह बहुत ज़रूरी है नहीं तो चोट लगने के बाद शरीर से सारा खून ही बह जायेगा ! जब बहुत ज्यादा खून बहता है तो उसको रोकने के लिए इस ज़हर को दवा की तरह काम में लाया जा सकता है. यह न सिर्फ घाव पर बल्कि बड़े ओपरेशन के दौरान होने वाले खून के बहाव को रोकने के काम आते हैं . "कोन शेल स्नेल" समुद्र में पाया जाने वाला बहुत ही रंग बिरंगा घोघा होता है.यह भी ज़हरीला होता है और अपने शिकार को बहुत ही खतरनाक ज़हर से मार देता है.इसका काटना इतना तेज़ और ज़हरीला होता है कि पता ही नहीं चलता कि कब इसने काट लिया है. पर इसके ज़हर में ऐसे कई केमिकल पाए गए हैं जो शरीर के दर्द को मिटा सकते हैं. यह आजकल इस्तेमाल हो रहे पीडा नाश्कों (पेन किलर्स ) से कहीं ज्यादा असर कर सकते हैं . ओपरेशन के बाद बहुत तेज़ उठते दर्द को ठीक करने के लिए ,वैज्ञानिक इनको काम में लाना चाहते हैं. जी
क्या आपको पता है कि हमारे दिमाग और नस की कोशिकाएं (सेल) बिजली के छोटे छोटे सिग्नल भेज कर अपना काम करती हैं? लेकिन एक बहुत ही खतरनाक ज़हर ऐसा भी है जो इन सिग्नलों पर असर करता है और वह बिना किसी रोकटोक अजीबोगरीब तरह से निकलना शुरू हो जाते हैं। वैज्ञानिक सोचते हैं कि जिन व्यक्तियों को कोई दिमागी बीमारी है उन्हें इस ज़हर से ठीक किया जा सके। डाक्टर फ्राई और दुनिया भर कए वैज्ञानिक जानवरों के ज़हर की खोज कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि कैंसर ,,दिल की बिमारियों,दिमाग के ट्यूमर आदि का इलाज ढूँढ निकालें. .ज़हर के बारे में रिसर्च करना और दवा खोज निकलना आसान काम नहीं है.डा फ्राई हर साल काम से काम ३००० सांप पकड़ते हैं .इसमें काटे जाने का बहुत बड़ा खतरा होता है. मालूम है, वह बहुत सावधानी से अपना काम करते है पर फिर भी २४ बार उनको साँपों ने काटा है ! कोन शेल स्नेल से दवा निकालने में कई-कई साल लग गए.ऐसा इसलिए है क्योंकि उसके ज़हर में करीब ५०००० . केमिकल्स, जिन्हें कोनोतोक्सिन कहा जाता है , मिलते हैं और उन में से वह एक केमिकल जो दर्द निवारक होता है, उसे अलग करना बहुत बहुत मुश्किल काम है ! इन में १०० ऐसे केमिकल्स यानि टोक्सिन हैं जो दवा के लिए उपयोगी होंगे पर उनको अलग करने में सालों लग जायेंगे .
पर इन सब खोज से यह बात तो सिद्ध हो गयी की जीवन लेने वाला जीवन बचाने वाला भी हो सकता है !
सांप का नाम सुनते ही हम सबको बस एक चीज़ ध्यान में आती है और वह है सांप का ज़हर । सांप के डसने से सबको डर लगता है और इसलिए सांप दिखते ही उसे मार दिया जाता है। .लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं की सांप का ज़हर हमेशा जान ही ले ले.कभी कभी वह जान बचने के भी काम आता है. है न आर्श्चय की बात? पर सच है! सोचो तो कैसे ? दरअसल बात यह है कि सांप का ज़हर शरीर में पहुंचकर ,अलग अलग तरीकों से शरीर के भागों पर असर डालता है. पर यह बात हमें पता कैसे चली.आस्ट्रेलिया के एक वैज्ञानिक ब्रायन ग्रेग फ्राई जब पढ़ रहे थे तब अपने पढाई के काम के लिया उन्हें एक "स्टीफेंस बैंदेड " नाम का सांप पकड़ना था.यह आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला बहुत ही विषैला सांप होता है. फ्राई को डर तो लग रहा था पर उस पकड़ना उनके लिए बहुत ज़रूरी था. पर पकड़ने में ज़रा सी चूक हो गयी और सांप ने उन्हें काट लिया. फ्राई तुंरत बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, पर सांप के काटने के बावजूद फ्राई ने हिम्मत नहीं हारी बल्कि वह सोचने लगे कि ज़हर में ऐसा क्या था जिससे कि वह बेहोश हो गए.उन्होंने तय किया कि वह सांप और अन्य ज़हरीले मेंढक .घोघा,छिपकली,बिच्छू आदि जानवरों के विष पर रिसर्च करेंगे.
दुनिया भर नें उनके जैसे कई वैज्ञानिक इस काम में जुटे हैं.वह एकदम नए नए तरीकों से यह तलाशने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर जानवरों का ज़हर किन चीज़ों से बना होता है. .सालों तक मेहनत कर फ्राई ने खोज निकाला कि जिस सांप ने उन्हें काटा था उसका ज़हर शरीर में जाकर खून की नली को चौडा कर देता है और वह फ़ैल जातीं हैं.इससे खून का दबाव कम हो जाता है.यानि कि शरीर में रक्तचाप गिर जाता है. तभी सांप के काटने पर फ्राई बेहोश हो गए थे.फ्राई ने पाया कि अगर इस ज़हर कि एक छोटी खुराक किसी ऐसे आदमी को दे दी जाए जिसे ऊँचे रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) की शिकायत है तो उसका रक्तचाप गिर जायेगा, कई बार जब रक्तचाप बहुत बढ़ जाता है तो मरीज को दिल का दौरा पड़ जाता है. इस तरह के दिल के दौरे के लिए यह ज़हर दवा का काम करता है ! है न कितनी अद्भुत बात ! ऐसा ही एक और सांप है "ग्रीन मम्बा " जो अफ्रीका में पाया जाता है,उसका ज़हर भी इस तरह की दवाई बनाने के काम आता है. इसी तरह एक सांप के ज़हर में ऐसा प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर की मांसपेशियों को जकड देता है.मांसपेशियों(muscles) के जकड़ जाने से दिल और फेफडे काम करना बंद कर देते हैं . एक अन्य तरह का ज़हर जब शरीर में फैलता है तो खून के थक्के बना देता है. इस ज़हर से खून की नालियों में जगह जगह खून जमने लग जाता है और बहना बंद हो जाता है. क्या आपने गौर किया है कि जब आपको चोट लगती है तब थोड़ी देर तक तो खून बहता है ,और उसके बाद वहां जमने लग जाता है.इसे ब्लड क्लोटिंग कहेते हैं और यह बहुत ज़रूरी है नहीं तो चोट लगने के बाद शरीर से सारा खून ही बह जायेगा ! जब बहुत ज्यादा खून बहता है तो उसको रोकने के लिए इस ज़हर को दवा की तरह काम में लाया जा सकता है. यह न सिर्फ घाव पर बल्कि बड़े ओपरेशन के दौरान होने वाले खून के बहाव को रोकने के काम आते हैं . "कोन शेल स्नेल" समुद्र में पाया जाने वाला बहुत ही रंग बिरंगा घोघा होता है.यह भी ज़हरीला होता है और अपने शिकार को बहुत ही खतरनाक ज़हर से मार देता है.इसका काटना इतना तेज़ और ज़हरीला होता है कि पता ही नहीं चलता कि कब इसने काट लिया है. पर इसके ज़हर में ऐसे कई केमिकल पाए गए हैं जो शरीर के दर्द को मिटा सकते हैं. यह आजकल इस्तेमाल हो रहे पीडा नाश्कों (पेन किलर्स ) से कहीं ज्यादा असर कर सकते हैं . ओपरेशन के बाद बहुत तेज़ उठते दर्द को ठीक करने के लिए ,वैज्ञानिक इनको काम में लाना चाहते हैं. जी
क्या आपको पता है कि हमारे दिमाग और नस की कोशिकाएं (सेल) बिजली के छोटे छोटे सिग्नल भेज कर अपना काम करती हैं? लेकिन एक बहुत ही खतरनाक ज़हर ऐसा भी है जो इन सिग्नलों पर असर करता है और वह बिना किसी रोकटोक अजीबोगरीब तरह से निकलना शुरू हो जाते हैं। वैज्ञानिक सोचते हैं कि जिन व्यक्तियों को कोई दिमागी बीमारी है उन्हें इस ज़हर से ठीक किया जा सके। डाक्टर फ्राई और दुनिया भर कए वैज्ञानिक जानवरों के ज़हर की खोज कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि कैंसर ,,दिल की बिमारियों,दिमाग के ट्यूमर आदि का इलाज ढूँढ निकालें. .ज़हर के बारे में रिसर्च करना और दवा खोज निकलना आसान काम नहीं है.डा फ्राई हर साल काम से काम ३००० सांप पकड़ते हैं .इसमें काटे जाने का बहुत बड़ा खतरा होता है. मालूम है, वह बहुत सावधानी से अपना काम करते है पर फिर भी २४ बार उनको साँपों ने काटा है ! कोन शेल स्नेल से दवा निकालने में कई-कई साल लग गए.ऐसा इसलिए है क्योंकि उसके ज़हर में करीब ५०००० . केमिकल्स, जिन्हें कोनोतोक्सिन कहा जाता है , मिलते हैं और उन में से वह एक केमिकल जो दर्द निवारक होता है, उसे अलग करना बहुत बहुत मुश्किल काम है ! इन में १०० ऐसे केमिकल्स यानि टोक्सिन हैं जो दवा के लिए उपयोगी होंगे पर उनको अलग करने में सालों लग जायेंगे .
पर इन सब खोज से यह बात तो सिद्ध हो गयी की जीवन लेने वाला जीवन बचाने वाला भी हो सकता है !
6 टिप्पणियां:
sahi kaha aapne saanp ka zehar vakai kabhi kabhi bahut kaam aa sakta hain
जहां तक मुझे मालुम है कोबरा के जहर से वह दवा बनायी जाती है जो खून को मोटा कर देती है। यह वहां प्रयोग की जाती है जब खून का बहना न बन्द हो।
बढिया ज्ञानवर्द्धक आलेख है .. धन्यवाद !!
बहुत बढ़िया आलेख.
जी हाँ नीलम जी -विषस्य विषमौषधम ! विष ही विष की काट है !
रोचक और जानकारीपूर्ण लेख!
बिल्कुल सच है जी
सांप के विष की काट के लिये जो दवा बनाई जाती है वो खुद विष से ही तैयार की जाती है ..ऐसा सुना पढा था हमने भी
जानकारी के लिये आभार
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