पुराने कैलेंडर को उतार लगने जा रहा है
अब एक नया कैलेंडर
पिछले पर बहुत हिसाब किताब लिखे हैं
कुछ खास काम लिखे हैं।
कब कामवाली छुट्टी से वापस आएगी ,
कब गैस जल्दी ख़त्म हो गयी
किस महीने ज़्यादा चली
कब किसी के घर दावत है
घर की दावत का मेनू क्या है।
किस की अंतिम तारीख है
कब कहीं बाहर जाना है।
हर महीने का छिट्ठा कैलंडर
हो गया अब कबाड़ है।
फिर भी एक बार पलट कर देखना
कुछ आहें भर ,कुछ खिसियाना।
नया कैलेण्डर टांग दिया
हर पन्ना एकदम कोरा है।
बस पहली तारीख में एक शब्द लिखा
प्रसन्न
बाकी साल में कुछ भी हो
हर महीने की हर तारीख में कुछ भी लिख जाये
पलट कर साल की शुरुआत देखेंगे
और कोरे पन्ने पर मुस्कान
खिंच जाएगी !
1 टिप्पणी:
बहुत ही सूंदर बीते पल कुछ लम्हों को तो हंसी दे ही जाते हैं
एक टिप्पणी भेजें