एक बहुत पुरानी पोस्ट थी जो ड्राफ्ट में दिखी.दिल किया उस याद को ताज़ा करने का.
निकि यानि अदिति की इस चिट्ठा पृष्ठ पर पुनरावृत्ति है.आज ( 5 अप्रैल 2006) वो तीन साल की हो गई.२००३ में नवरात्र की पंचमी के दिन हमने अपने संसार में उसका स्वागत किया था.मैं ,उसकी बुआ ,अदिति के बचपन का एक अभिन्न हिस्सा रही हूँ.उसको बढता देख अपने आप में एक अदभुत एहसास है.मैंने पाया कि उसके लिये कोइ बात "क्योंकि बड़े कह रहे हैं" इसलिये मान लेना नामुमकिन सा है.वो सीधे इस तरह से नही कहती है पर उसके तीन प्रिय शब्द हैं...क्या,क्यों और क्यों नहीं.इसमें एक और शब्द कभी कभी जुड़ जाता है....कैसे.लेकिन अभी यह कम आता है.शुरुआत हुइ थी क्या से.जब उसने बोलना सीखा था और उसकी नन्ही सी पकड़ से कोइ शब्द बाहर होता , वह तब तक 'क्या'का साथ नही छोडती जब तक उसकी संतुष्टि नही हो जाती.यह अधिकतर प्रयोग होता है जब वह किसी शब्द का उच्चारण नहीं पकड पा रही हो मुझे याद है"हैर ड्रायर " कहने में उसे खासी मुश्किल आई,और वह अभी भी 'ड्र ' नहीं समझ पायी है.पर उसकी कोशिश ज़ारी है और वह हमेशा मुझे बाल धोने और सुखाने को कहती है जिससे वह उसको देख सके और सुन सके कि वह है क्या!पर अब तो उसके किसी भी वार्तालाप का सार होता है 'क्यों 'और 'क्यों नही'.अगर हम कुछ कर रहे हैं तो क्यों और नहीं कर रहे तो क्यों नही.सूरज रात में कहीं चला जाता है तो क्यों और दिन में चाँद नही दिखता तो क्यों नहीं.और जब क्यों की बारात निकलती है तो उसका कोई अन्त नहीं.
उम्मीद करती हूँ कि वह हमेशा यूँ ही उत्सुक, बेहिचक सवाल पूछती रहे, जानने सीखने की ललक बनी रहे .
इन पांच वर्षों में उसमें बहुत बदलाव आये हैं ,पर उसके कुछ सीखने की लगन कम नहीं हुई है.
निकि यानि अदिति की इस चिट्ठा पृष्ठ पर पुनरावृत्ति है.आज ( 5 अप्रैल 2006) वो तीन साल की हो गई.२००३ में नवरात्र की पंचमी के दिन हमने अपने संसार में उसका स्वागत किया था.मैं ,उसकी बुआ ,अदिति के बचपन का एक अभिन्न हिस्सा रही हूँ.उसको बढता देख अपने आप में एक अदभुत एहसास है.मैंने पाया कि उसके लिये कोइ बात "क्योंकि बड़े कह रहे हैं" इसलिये मान लेना नामुमकिन सा है.वो सीधे इस तरह से नही कहती है पर उसके तीन प्रिय शब्द हैं...क्या,क्यों और क्यों नहीं.इसमें एक और शब्द कभी कभी जुड़ जाता है....कैसे.लेकिन अभी यह कम आता है.शुरुआत हुइ थी क्या से.जब उसने बोलना सीखा था और उसकी नन्ही सी पकड़ से कोइ शब्द बाहर होता , वह तब तक 'क्या'का साथ नही छोडती जब तक उसकी संतुष्टि नही हो जाती.यह अधिकतर प्रयोग होता है जब वह किसी शब्द का उच्चारण नहीं पकड पा रही हो मुझे याद है"हैर ड्रायर " कहने में उसे खासी मुश्किल आई,और वह अभी भी 'ड्र ' नहीं समझ पायी है.पर उसकी कोशिश ज़ारी है और वह हमेशा मुझे बाल धोने और सुखाने को कहती है जिससे वह उसको देख सके और सुन सके कि वह है क्या!पर अब तो उसके किसी भी वार्तालाप का सार होता है 'क्यों 'और 'क्यों नही'.अगर हम कुछ कर रहे हैं तो क्यों और नहीं कर रहे तो क्यों नही.सूरज रात में कहीं चला जाता है तो क्यों और दिन में चाँद नही दिखता तो क्यों नहीं.और जब क्यों की बारात निकलती है तो उसका कोई अन्त नहीं.
उम्मीद करती हूँ कि वह हमेशा यूँ ही उत्सुक, बेहिचक सवाल पूछती रहे, जानने सीखने की ललक बनी रहे .
इन पांच वर्षों में उसमें बहुत बदलाव आये हैं ,पर उसके कुछ सीखने की लगन कम नहीं हुई है.
5 टिप्पणियां:
बहुत खूब! ये प्रश्नों की बारात बढ़ती रहेगी...बिटिया को स्नेहाशीष..
........ढेरो शुभकामनाये
अनंत शुभकामनाएं ।
mere taraf se v dher sari shubhkamnaye..!
happy birthday. plant a tree on that day.
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