कुछ अरसा हुआ सुनीता शानूजी की एक कविता पढ़ी थी प्रमाण पत्र जिस पर मैंने एक टिप्पणी की । उनकी कविता से सधन्यवाद प्रेरित होकर उसी टिप्पणी को विस्तार देकर यह कविता गढ़ी है.
सुबह सवेरे अखबार पढ़ा
और खबर पढी कुछ खट्टी सी
इश्क लड़ाते पति के बारे में
और अनजान बेचारी पत्नी की .
सोचा क्यों न पतिदेव पर
ऐसी कुछ आजमाईश करें
प्रेम का ठोस सबूत दिखाएं
ऐसी कुछ फरमाइश करें .
जन्म जन्म के प्यार की
दी गयी दुहाई खूब
प्रेम पत्र के सारे पुलिंदे
पेश किये बतौर सबूत .
सहेली से जब बात छिड़ी
बोली बड़ी नादान हो तुम
इतनी जल्दी बहक गयी हो
बातों में हो गयी तुम गम.
पति की बातों पर मत जाना
प्रेम पत्र बहकावा है
इश्क विश्क की बातें करना
मर्दों का छलावा है।
सात फेरों का बंधन
सात साल में जाते भूल,
कर उनकी बातों का भरोसा
बन जाती पत्नी अप्रैल फूल
सो मैंने उनसे सालगिरह पर
प्रमाण पत्र एक माँगा है
प्यार उनका पक्का है
या फ़िर कच्चा धागा है
पति बोले हे ! प्राणप्रिये
क्या सांसों को पढ पाओगी
धड़कन बोले नाम तेरा
यह प्रमाण कहां से लाओगी
मैं भी अकड़ी
जिद पकड़ी
बोली यूं न टरकाओ मुझे
दिल में तेरे मैं ही हूँ
यह प्रमाण पत्र दिखलाओ मुझे
दुनिया में हर काम सधे
प्रमाण पत्र के बूते पर
कहलायें घोड़े भी गधे
एक बाबू के अंगूठे पर
आठवीं फेल हो जाये भर्ती
जहाँ चाहिए बी ऐ पास
प्रमाण पत्र के होते ही
ज़िंदा की रुक जाती सांस !
तुमने जिद पकड़ ली है
तो प्रमाण पत्र मैं लाऊँगा
अपने प्यार का यह सबूत
दीवार पर टंगवाऊंगा !
पर शर्त मेरी भी सुन लो
ए मेरे दिल की रानी
मंद मंद मुस्काते बोले
गर बात तुम्हारी मानी ।
कविता सविता पिंकी प्रीती
चाय सब को पिलवाऊंगा
और कभी तुमने की शिकायत
प्रमाण पत्र दिखलाऊँगा !
नहीं चाहिए प्रमाण पत्र
प्रेम पत्र कोई कम नहीं
चाय कॉफ़ी पिलाओ किसी को
इसका तो मातम नहीं !
सुबह सवेरे अखबार पढ़ा
और खबर पढी कुछ खट्टी सी
इश्क लड़ाते पति के बारे में
और अनजान बेचारी पत्नी की .
सोचा क्यों न पतिदेव पर
ऐसी कुछ आजमाईश करें
प्रेम का ठोस सबूत दिखाएं
ऐसी कुछ फरमाइश करें .
जन्म जन्म के प्यार की
दी गयी दुहाई खूब
प्रेम पत्र के सारे पुलिंदे
पेश किये बतौर सबूत .
सहेली से जब बात छिड़ी
बोली बड़ी नादान हो तुम
इतनी जल्दी बहक गयी हो
बातों में हो गयी तुम गम.
पति की बातों पर मत जाना
प्रेम पत्र बहकावा है
इश्क विश्क की बातें करना
मर्दों का छलावा है।
सात फेरों का बंधन
सात साल में जाते भूल,
कर उनकी बातों का भरोसा
बन जाती पत्नी अप्रैल फूल
सो मैंने उनसे सालगिरह पर
प्रमाण पत्र एक माँगा है
प्यार उनका पक्का है
या फ़िर कच्चा धागा है
पति बोले हे ! प्राणप्रिये
क्या सांसों को पढ पाओगी
धड़कन बोले नाम तेरा
यह प्रमाण कहां से लाओगी
मैं भी अकड़ी
जिद पकड़ी
बोली यूं न टरकाओ मुझे
दिल में तेरे मैं ही हूँ
यह प्रमाण पत्र दिखलाओ मुझे
दुनिया में हर काम सधे
प्रमाण पत्र के बूते पर
कहलायें घोड़े भी गधे
एक बाबू के अंगूठे पर
आठवीं फेल हो जाये भर्ती
जहाँ चाहिए बी ऐ पास
प्रमाण पत्र के होते ही
ज़िंदा की रुक जाती सांस !
नगर पालिका रखती है
जनम मरण का हिसाब
फिर भी बन जाते भारतीय
न जाने कितने कसाब !
तुमने जिद पकड़ ली है
तो प्रमाण पत्र मैं लाऊँगा
अपने प्यार का यह सबूत
दीवार पर टंगवाऊंगा !
पर शर्त मेरी भी सुन लो
ए मेरे दिल की रानी
मंद मंद मुस्काते बोले
गर बात तुम्हारी मानी ।
कविता सविता पिंकी प्रीती
चाय सब को पिलवाऊंगा
और कभी तुमने की शिकायत
प्रमाण पत्र दिखलाऊँगा !
नहीं चाहिए प्रमाण पत्र
प्रेम पत्र कोई कम नहीं
चाय कॉफ़ी पिलाओ किसी को
इसका तो मातम नहीं !
8 टिप्पणियां:
जैसे बनी अथॉरिटी सबकी
एक अथॉरिटी बने प्यार की
कोई कमी नहीं रहेगी
इसके बाद प्रेम प्रमाण की.
सुन्दर रचना. धन्यवाद.
वाह-वाह जी बहुत सुन्दर कविता है बधाई हो
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
सुन्दर प्रमाण पत्र बन पड़ा है. आभार.
वाह ! यह तो बहुत सुन्दर कविता की रचना की है आपने |
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद् |
आते रहिये |
कुहू
आनंददायी ...हँसाते-हँसाते कसब वाले मुद्दे पर अच्छा कटाक्ष भी कर गए आप, वाह
साधू..
बहुत ही सुन्दर रचना!
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
"जिसे चाहिये प्रमाण पत्र व प्रेम नहीं बस नाता है,
सच्चा प्यार तो वो है जो आंखो से बयां हो जाता है।"
If I say in other words:
जज़्बात में अल्फ़ाज़ की ज़रूरत ही कहां है,
गुफ़्त्गू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहां हूं।
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